शिवनाथ विज्ञान महाविद्यालय में जैव विविधता पर राष्ट्रीय वेबीनार “

राजनांदगांव, शासकीय शिवनाथ विज्ञान महाविद्यालय, राजनांदगांव में दिनांक 18/06/2021 को डॉ. आई. आर. सोनवानी, संस्था प्राचार्य के मार्गदर्शन में, जैव विविधता का ह्राश, कारण एवं संभावनाएं विषय पर, एक दिवसीय राष्ट्रीय वेबीनार का, ऑनलाइन पद्धति से आयोजन, प्राणी विज्ञान विभाग, वनस्पति विज्ञान विभाग एवं आइ. क्यू .ए .सी. के संयुक्त तत्वाधान में किया गया । संस्था प्राचार्य, डॉ. आई. आर. सोनवानी ने अपने स्वागत उद्बोधन में कहा कि किसी निश्चित भौगोलिक क्षेत्र के परिवेश में पाए जाने वाले सजीवों की विभिन्नता को जैव विविधता कहते हैं । खाद्य श्रृंखला के आधार पर, सभी जीव, एक दूसरे से जुड़े हुए हैं, यदि कोई भी कड़ी विलुप्त होती है, तो पारिस्थितिक तंत्र में असंतुलन आ जाता है । इन सबके चलते जीव जंतु व पेड़ पौधों का जीवन चक्र भी असंतुलित हो रहा है तथा वे विलुप्ति के कगार पर पहुंच रहे हैं, जो काफी चिंतनीय विषय बनता जा रहा है। वेबीनार के मुख्य अतिथि डॉ. एस.के. सिंह, कुलपति, स्व. महेंद्र कर्मा विश्वविद्यालय जगदलपुर, ने अपने उद्बोधन में कहा, कि देश की जैव विविधता पर भौगोलिक परिचर्चा करना आवश्यक है, क्योंकि मानव ने अपनी स्वार्थ पूर्ति हेतु जीव जंतुओं एवं वनस्पतियों को नष्ट किया, जिसके कारण जलवायु परिवर्तन जैसी समस्याएं उत्पन्न होने लगी तथा अनेक पर्यावरण संबंधी वैश्विक समस्याएं बलवती होते चली गई । कार्यक्रम के प्रथम सत्र के प्रमुख वक्ता डॉ. शशिकांत रे, बायोटेक्नोलॉजी विभाग, महात्मा गांधी केंद्रीय विश्वविद्यालय, मोतीहारी, बिहार ने अपने व्याख्यान में कहा कि मानव द्वारा प्रकृति का दोहन करने से पर्यावरण प्रदूषण,जैव विविधता संकट गहराते जा रहे हैं ।

डॉ वीरेंद्र ए.शेन्डे, फॉरेंसिक बायोलॉजी विभाग, शासकीय फॉरेंसिक विज्ञान संस्थान, नागपुर महाराष्ट्र , द्वितीय सत्र के प्रमुख वक्ता रहे, डॉ. शेन्डे ने, जैव विविधता के महत्व, वनों के संगठन, छत्तीसगढ़ में जैव विविधता, जैव विविधता संरक्षण आदि पर विस्तार से प्रकाश डाला।
कार्यक्रम में तृतीय सत्र के प्रमुख वक्ता डॉ. अनिल कुमार श्रीवास्तव, प्राध्यापक, प्राणी विज्ञान विभाग, शासकीय वी. वाइ. टी. पी.जी. स्नातकोत्तर महाविद्यालय, दुर्ग ने अनुवांशिक विविधता, मानव के विकास क्रम, रिकांबिनेन्ट जीन तथा जीन बहुरूपता पर अपने सारगर्भित व्याख्यान प्रस्तुत किए, अंत में प्रतिभागियों द्वारा प्रश्न किए गए, जिनका समाधान विशेषज्ञ वक्ताओं द्वारा किया गया । कार्यक्रम का संचालन डॉ. एस. आर. कन्नौजे, विभागाध्यक्ष, प्राणी विज्ञान विभाग तथा आभार प्रदर्शन डॉ. स्वाति तिवारी, विभागाध्यक्ष, वनस्पति विज्ञान विभाग द्वारा किया गया। कार्यक्रम को सफल बनाने में डॉ. निर्मला उमरे, आइ.क्यू.ए.सी. समन्वयक, डॉ. ए.के. झा, विभागाध्यक्ष, रसायन शास्त्र विभाग, श्री अनिल चंद्रवंशी, सहायक प्राध्यापक, वाणिज्य विभाग, डॉ. फुलसो राजेश पटेल, विभागाध्यक्ष, इतिहास विभाग, डॉ. एलिजाबेथ भगत, विभागाध्यक्ष समाजशास्त्र विभाग, श्री नितिन कुमार शांडिल्य एवं षडानन वर्मा का विशेष सहयोग रहा ।

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