साइंस काॅलेज में विधिक जागरूकता कार्यक्रम

राजनांदगांव। शासकीय शिवनाथ विज्ञान महाविद्यालय, राजनांदगांव के एपीजे अब्दुल कलाम संगोष्ठी कक्ष मंे विधिक जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में जिला न्यायालय से सम्मानीय 4 न्यायाधीशों ने अपनी सहभागिता दी। कानून साधारण भाषा में वे नियम है, जो जन सामान्य को व्यवस्थित जीवन जीने में सहायता करते हैं। हमारे संविधान में अपेक्षा की गई है कि प्रत्येक नागरिक को सामाजिक, आर्थिक एवं राजनैतिक न्याय प्राप्त हो। विधिक जागरूकता कार्यक्रम का उद्देश्य विद्यार्थियों को विधिक अधिकारों एवं कर्तव्यों की जानकारी प्रदान करना है। विधिक जागरूकता कार्यक्रम में सम्मानीय न्यायाधीशगणों द्वारा रैगिंग, साइबर क्राइम, पाॅक्सो एक्ट, उपभोक्ता संरक्षण, मोटर व्हीकल एक्ट एवं प्रक्रिया संहिता के बारे में आधारभूत जानकारियां प्रदान की गई। श्री थाॅमस एक्का, विशेष न्यायाधीश ने अपने व्यक्तव्य में बताया कि कानून की अनभिज्ञता के कारण न्याय में विलम्ब होता है। विविध कानून समुद्र की तरह हैं। सामान्य व्यक्ति के लिए इसका ज्ञान सम्भव नही होता। यही कारण है कि न्यायालयीन मामले दीर्घकाल तक लंबित होते हैं। श्री अभिषेक शर्मा, अपर सत्र न्यायाधीश फास्ट ट्रेक न्यायालय, द्वारा विद्यार्थियों को पाॅक्सो एक्ट, उपभोक्ता संरक्षण कानून, एवं मोटर व्हीकल एक्ट के बारे में जानकारी प्रदान की। पाॅक्सो एक्ट के बारे में बताने के पूर्व एक सुसंगत डाक्यूमेंन्ट्री को आधार बनाकर उन्होंने पाॅक्सो एक्ट की व्याख्या की। साथ ही उन्होंने विद्यार्थियों को आगाह किया वैवाहिक आयु के पूर्व ऐसे किसी कदम से उन्हें क्या नुकसान हो सकते हैं। उपभोक्ता संरक्षण कानून के बारे अनुभव को साझा करते हुए उन्होंने सलाह दी कि प्रत्येक वस्तु के क्रय पर उसका पक्का बिल प्राप्त करना उपभोक्ता का अधिकार है अतः विद्यार्थियों को भी उसका बिल प्राप्त करना चाहिए, इससे मूल्य या किस्म में कमी होने पर क्षतिपूर्ति प्राप्त की जा सकती है। मोटर व्हीकल एक्ट के बारे में जानकारी देने के साथ उन्होंने लाइसेंस वाहन, बीमा एवं हेलमेट न होने से होने वाले नुकसानों के बारे में बताया। साथ ही उन्होंने लोक अदालत एवं जिला विधिक प्राधिकरण के कार्यों की भी जानकारी दीं। श्री सर्व विजय अग्रवाल, न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी द्वारा रैगिंग के बारे में जानकारी प्रदान करते हुए बताया कि, प्रवेशित विद्यार्थी का सामान्य परिचय प्राप्त करना, रैगिंग की श्रेणी में नहीं आता किंतु यदि कोई ऐसा कृत्य किया जाता है जिससे विद्यार्थी को शारीरिक या मानसिक क्षति होती है तो यह रैगिंग कहलाती है। रैगिंग के सम्बंध में क्या कानून है? महाविद्यालयीन स्तर ऐसे दोषी व्यक्ति पर क्या कार्यवाही की जाएगी, जानकारी प्रदान की गई। अंतिम वक्ता के रूप में श्री आशीष भगत, ने साइबर क्राइम कानून के बारे विद्यार्थियों को अवगत कराया। उनके अनुसार सोशल मीडिया की दुनिया बहुत संवेदनशील है अतः विद्यार्थियों को इसका उपयोग करते समय विशेष सावधानी रखनी चाहिए। साथ ही उन्होंने लुभावने वादों के साथ आए हुए काॅल्स में अपने खाते से संबंधित जानकारियों को न साझा करने सुझाव भी दिया। कार्यक्रम में स्नातक एवं स्नातकोŸार कक्षाओं के लगभग 100 विद्यार्थियों की भागीदारी रही। विद्यार्थियों ने व्याख्यान के अंत में न्यायाधीशगणों से अपनी जिज्ञासाओं के समाधान के लिए अनेक प्रश्न किए जिनका विधि सम्मत उत्तर दिया गया। कार्यक्रम का संचालन डाॅ. ए.एन.माखीजा, संयोजक रैगिंग नियंत्रण समिति एवं आभार प्रदर्शन डाॅ. निर्मला उमरे, संयोजक आंतरिक गुणवŸाा आश्वासन प्रकोष्ठ द्वारा किया गया। कार्यक्रम में प्राचार्य डाॅ. सुमन सिंह बधेल के अलावा डाॅ. एस.आर.कन्नोजे, डाॅ. नागरत्ना गनवीर, डाॅ. फुलसो राजेश पटेल, डाॅ. एलिजाबेथ भगत, श्री अनिल चन्द्रवंशी, डाॅ. स्वाति तिवारी, डाॅ. अबध किशोर झा, श्री परमेश्वर वर्मा, श्री गुणवंता दास, श्री शिवेन्द्र कुमार नागपुरे, सुश्री पुण्यप्रदा सिंह उपस्थित रहे।

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