प्राचीन इतिहास के साक्ष्य अवलोकन हेतु संग्रहालय राजनांदगांव में विज्ञान महाविद्यालय के विद्यार्थी

शासकीय शिवनाथ विज्ञान महाविद्यालय राजनांदगांव की प्राचार्य डॉ. गन्धेश्वरी सिंह के मार्ग निर्देशन में इतिहास एवं अर्थशास्त्र के संयुक्त तत्वाधान में दिनांक 29.01.2020 को पुरातात्विक संग्रहालय राजनांदगांव में इतिहास विभाग के प्राध्यापक डॉ. फुलसो राजेश पटेल, अर्थशास्त्र विभाग डॉ. निर्मला उमरे के नेतृत्व में महाविद्यालय में अध्ययनरत छात्र-छात्राआें को शैक्षणिक भ्रमण के उद्देश्य से प्रेरित होकर महाविद्यालय के प्राध्यापक डॉ. नागरत्ना गनवीर राजनीति विज्ञान विभाग, डॉ. एलिजाबेथ भगत समाजशास्त्र विभाग की सहभागिता में कला संकाय के समस्त छात्र-छात्राआें को शैक्षणिक भ्रमण कराया गया।
राजनांदगांव जिले में स्थित पुरातात्विक संग्रहालय राष्ट्र का गौरव एवं अतीत के धरोहर का संरक्षण की जीवंत अभिव्यक्ति एवं इतिहास अध्ययन का केन्द्र है।
संग्रहालय में पहली सदी से 19 वीं सदी के ऐतिहासिक क्रमबद्धता के आधार पर संग्रहित कर संरक्षित किया गया है। मानव विकास के प्रथम चरण से विज्ञान युग तक विकास क्रम को संग्रहित कर प्रदर्शित किया गया है। संग्रहालय में संरक्षित ऐतिहासिक पुरावशेषां में राजवंशां की वंशावली, प्रमुख जमीदारों की शासन व्यवस्था उनके चित्र, अभिरूचि, वस्त्र, आभूषण, श्रृंगार, प्रसिद्ध निर्माण कार्य, भग्नावशेष 11 वीं, 12 वीं शताब्दी के मूर्तियाँ, सिक्के क्रमबद्ध तरीके से, अस्त्र-शस्त्र तथा तलवार और भाले, युद्ध सामग्री को संग्रहित कर कालक्रमानुसार अक्षुण्ण रखा गया है।
पुरातत्व संग्रहालय अतीत का आईना है। इतिहास के अध्येयताओं द्वारा अतीत के पुरातात्विक साक्ष्य की सहायता से इतिहास के महत्व को कैसे अध्ययन किया जा सकता है, साक्ष्य इतिहास में क्यों आवश्यक है? अध्येयताओं के लिए संग्रहित साक्ष्य का उपयोग लेखन कार्य में उपयोग कैसे किया जाता है? प्रमाणिक साक्ष्य के उपयोग इतिहास लेखन में महत्व और प्रमाणिकता के विषय पर डॉ. पटेल द्वारा विद्यार्थियां को अवगत कराया गया और साथ ही इतिहास के अध्येयताआें को आह्वान किया कि हमारे अतीत के पुरावशेष यत्र-तत्र बिखरे पड़े हैं उसे संग्रहित कर व्यवस्थित रूप से संरक्षित करें ताकि इतिहास के धरोहर को आनेवाली पीढ़ी अपने अतीत के साक्ष्य सहित अध्ययन कर सकें।

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