शक्तियों, कमजोरियों, अवसर एवं चुनौतियों का विश्लेषण आवश्यक-डॉ. शर्मा
शासकीय शिवनाथ विज्ञान महाविद्यालय, राजनांदगांव के वाणिज्य विभाग द्वारा आयोजित विषय विशेषज्ञ के रूप में डॉ. लाली शर्मा, सहायक प्राध्यापक (वाणिज्य) शासकीय कमलादेवी राठी महिला महाविद्यालय, राजनांदगांव को आमंत्रित किया गया। डॉ. लाली शर्मा ने व्याख्यान का आरंभ करते हुए बताया कि प्रत्येक व्यक्ति अथवा संगठन द्वारा जाने-अनजाने में अपनी शक्तियों, कमजोरियों, अवसर वं चुनौतियों का विश्लेषण (स्वॉट विश्लेषण) किया जाता है। एक संगठन में इसका प्रयोग प्रभावशाली संगठनात्मक रणनीतियों को तैयार करने हेतु किया जाता है। ‘स्वॉट विश्लेषण’ को स्पष्ट करते हुए डॉ. शर्मा ने बताया कि ‘शक्तियां व कमजोरियां’ आंतरिक वातावरण एवं ‘अवसर व चुनौतियाँ’ बाह्य वातावरण में विद्यमान होती हैं। ‘स्वॉट विश्लेषण’ वातावरण को समझने एवं नीतिगत निर्णय लेने में सहायक होता है। उचित रणनीति बनाना एवं इसका उचित अनुपालन विशेष रूप से किसी व्यावसायिक संगठन के आंतरिक व बाह्य पर्यावरण के विश्लेषण पर निर्भर करता है।
एक व्यावसायिक संस्था की शक्तियों में पर्याप्त संसाधन, कुशलश्रम, अनुभव, ज्ञान सम्बंधित आंकड़े का संग्रहण बाजार तक पहुंच, नवाचार, मूल्य गुणवत्ता, सूचना प्रौद्योगिकी आदि जबकि इसके विपरीत स्थितियां कठिनाईयों में शामिल है। अनुकूल पारिस्थ्तियां ही अवसर कहलाती है। ये परिस्थ्तियां ही व्यवस्था को अपने प्रतिस्पर्धा का सामना करने एवं स्वयं को मजबूत करने के लिए प्रेरित करती है। यह अवसर बाजार, प्रौद्योगिकी, उत्पाद, शोध एवं विकास इत्यादि से सम्बंधित हो सकते हैं। एक व्यक्ति या व्यवसाय को यह जानना आवश्यक है कि क्या वह किसी अवसर का लाभ उठाने में सक्षम है? किसी व्यवसाय, संगठन में विद्यमान प्रतिकूल परिस्थ्तियां ही व्यवसाय के किये कठिनाईयों के रूप में आती हैं। ऐसी कठिनाईयां राजनीतिक, पर्यावरण, सूचना प्रौद्योगिकी, उत्पाद मांग, नवीन प्रौद्योगिकी, श्रम व साझेदार, इत्यादि से सम्बंधित हो सकती है।
स्वॉट विश्लेषण का महत्व बताते हुए डॉ. शर्मा ने बताया कि स्वॉट विश्लेषण ही एक ऐसी महत्वपूर्ण रणनीति है जो वास्तविक धरातल पर आधारित है। यह विश्लेषण बाह्य एवं आंतरिक विश्लेषण में सहायक है, लक्ष्य प्राप्ति का एकमात्र उपकरण है, सतत् सृजनात्मक प्रक्रिया है एवं किसी व्यवसाय की कार्य संस्कृति के विकास में सहायक है।
किसी व्यक्ति, संस्था, संगठन या व्यवसाय के लिए आवश्यक है कि उन्हें अपनी वास्तविक स्थिति का पता हो। वास्तविक से आशय है कि स्वयं में निहित शक्तियों एवं कमियों से अवगत रहें, ताकि उसमें सुधार सम्भव हो सके। आज प्रतिस्पर्धा के युग में व्यक्ति अथवा व्यवसाय को न केवल अपना मूल्यांकन करना होता है अपितु अपने प्रतिस्पर्धियों का भी मूल्यांकन करना आवश्यक होता है। जहां पर भी विकल्प होंगे वहां एक व्यक्ति, संगठन, संस्था अथवा व्यक्ति के लिए रणनीति निर्धारण एवं निर्णयन में यह उपयोगी होगा। इस अवसर पर डॉ. लाली शर्मा का स्वागत महाविद्यालय की वरिष्ठ प्राध्यापक डॉ. निर्मला उमरे द्वारा किया गया। व्याख्यान के अंत में संस्था की प्राचार्य डॉ. गन्धेश्वरी सिंह द्वारा व्याख्यान प्रस्तुतीकरण का प्रमाण-पत्र प्रदान किया गया। व्याख्यान में बी.कॉम की तीनों कक्षाओं के विद्यार्थियों की सहभागिता रही। कार्यक्रम का संचालन वाणिज्य विभाग के प्राध्यापक श्री अनिल चन्द्रवंशी एवं आभार प्रदर्शन विभागाध्यक्ष डॉ. ए.एन.माखीजा द्वारा किया गया।