साइंस कालेज में शोध प्रविधि पर राज्य स्तरीय कार्यशाला आयोजित
राजनांदगांव। शासकीय शिवनाथ विज्ञान महाविद्यालय, राजनांदगांव में वाणिज्य एवं अर्थशास्त्र विभाग के संयुक्त तत्वाधान मंे शोध के क्षेत्र में ‘‘साहित्यिक चोरी एवं शोध में सांख्यिकी’ उपकरणों का प्रयोग’’ विषय पर राज्य स्तरीय ऑनलाइन एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया। इस कार्यशाला की मुख्य अतिथि डॉ. अरूणा पल्टा, कुलपति हेमचंद यादव विश्वविद्यालय, दुर्ग थी। डॉ. पल्टा ने अकादमिक क्षेत्र में शोध के महत्व को बातते हुए कार्यशाला के शीर्षक के बारे में विस्तृत जानकारी दी। प्रथम विषय विशेषज्ञ के रूप में डॉ. राजीव चौधरी, प्राध्यापक शारीरिक शिक्षा, पं. रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय, रायपुर ने शोध के ‘सांख्यिकी उपकरणों का प्रयोग’ विषय पर अपने व्याख्यान में बताया कि अनुमानिक सांख्यिकी के अंतर्गत दो प्रकार के परीक्षण प्राचालिक एवं अप्रचालिक आते है। प्राचालिक परीक्षण में टी.-परीक्षण, एफ-परीक्षण (एनोवा) की गणना की जाती है। प्राचालिक परीक्षण के लिए सर्वप्रथम आंकड़ों के सामान्य वितरण की जांच की जाती है, स्क्रीन पर प्रदर्शित करते हुए माइक्रोसाफ्ट एक्सेल एवं एसपीएसएस के माध्यम से गणना प्रक्रिया को समझाया। दो या दो से अधिक समूहों के आंकड़ों से संबंधित परिकल्पना के परीक्षण के लिए विधियों में से स्वतंत्र, आश्रित एवं एक न्यादर्श टी-परीक्षण हैं।
व्याख्यान की समाप्ति के बाद डॉ. चौधरी ने प्रतिभागियों को प्रश्न पूछने के लिए आमंत्रित किया, जिसका उन्होंने समाधान भी किया। कार्यशाला के दूसरे विशेषज्ञ डॉ. सुपर्णसेन गुप्ता, ग्रंथपाल, पं. रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय, रायपुर थे। डॉ. सेनगुप्ता ने अपनी बात की शुरूआत ‘साहित्यिक चोरी-से क्यों और कैसे बचें? साहित्यिक चोरी-किसी दूसरे की भाषा, विचार, उपाय शैली की अधिकाशंतः नकल करते हुए मौद्रिक कृति के रूप में प्रकाशन करना है। अपने व्याख्यान में साहित्यिक चोरी विनिमन, 2018 के साथ उसके प्रकार एवं चोरी की प्रतिशतता के आधार पर दण्ड के प्रावधान की विस्तृत जानकारी प्रदान की। शोधार्थियों के लिए वेबसाइट पर उपलब्ध निःशुल्क साहित्यिक चोरी की जांच के लिए निःशुल्क वेबसाइट्स की जानकारी साझा की। इस कार्यशाला में 220 प्रतिभागियों की सहभागिता रही। कार्यशाला की संयोजक डॉ. निर्मला उमरे एवं आयोजन सचिव डॉ. ए.एन.माखीजा थे।