सिंगल यूज प्लास्टिक के विरूद्ध अभियान

सिंगल यूज प्लास्टिक के विरूद्ध अभियान

  • प्लास्टिक के विरूद्ध अभियान – गोदग्राम रामपुर में रासेयो स्वयं सेवकां ने पर्यावरण संरक्षण के तहत बाजार चौक, ग्राम पंचायत भवन के आस-पास फेके गये गुटखा, पाउच के पन्नी, पालीथीन को एकत्रित किया गया। ग्रामीणां से प्लास्टिक मुक्त ग्राम बनाने की अपील की गयी, प्लास्टिक से होने वाले खतरां से अवगत कराया गया, प्लास्टिक के स्थान पर थैला का उपयोग करने कहा गया।

     

  • महाविद्यालय परिसर में प्लास्टिक मुक्ति अभियान – पर्यावरण संरक्षण की दिशा में कार्य करते हुए महाविद्यालय परिसर को प्लास्टिक मुक्त वातावरण बनाने हेतु विद्यार्थियां एवं स्टाफ द्वारा प्लास्टिक के टुकड़ां को संग्रहित किया गया। डॉ. निर्मला उमरे प्रभारी प्राचार्य के मार्गदर्शन में इस महत्वपूर्ण कार्य में भागीदारी करते हुए 50 विद्यार्थी एवं 10 महाविद्यालय स्टाफ ने सहयोग किया।

  • महाविद्यालय में प्लास्टिक उन्मूलन पर व्याख्यान – महावि. में को सिंगल यूज प्लास्टिक उन्मूलन के संबंध में व्याख्यान का आयोजन डॉ. निर्मला उमरे प्रभारी प्राचार्य के मार्गदर्शन में किया गया। प्रो. विजय मानिकपुरी समाज कार्य विभाग, शास. दिग्विजय महावि. राजनांदगांव मुख्य वक्ता के रूप में उपस्थित रहे। विशेष अतिथि डॉ. सुरेश पटेल रासेयो जिला संगठक उपस्थित रहे। डॉ. निर्मला उमरे प्रभारी प्राचार्य ने कहा कि प्लास्टिक पर्यावरण के लिए प्रदूषणकारी है, प्लास्टिक हलका, मनभावन व सुविधाजनक है, हर घर में हर व्यक्ति के चलन में है, इस पर कड़े प्रतिबंध होना चाहिए। प्रो. विजय मानिकपुरी ने कहा कि पालीथीन मौत का दूत है, यह जलाने से भी नष्ट नहीं होता, जलाने से क्लोरोफ्लोरो कार्बन निकलता है जो वायु मंडल को क्षति पहुंचाता है। डॉ. सुरेश पटेल ने कहा कि केन्द्र में जल शक्ति मंत्रालय का गठन किया गया है, जल का संरक्षण व संवर्धन समय की मांग है, जल दूषित हो जाये तो कई बीमारियां को जन्म देती है, हम सबकी सामुदायिक भागीदारी से ही जल बचत हो सकता है।

     

  • जन जागरूकता रैली एवं स्वच्छता अभियान – महावि. से प्लास्टिक मुक्त हेतु जन जागरूकता रैली निकाली गयी। जनमानस को प्लास्टिक से होने वाले खतरां से अवगत कराया गया, रैली के माध्यम से प्लास्टिक के स्थान पर थैले का प्रयोग करने की अपील की गई। महावि. परिसर में स्वच्छता अभियान चलाया गया, बेकार उगे घास, खरपतवार को उखाड़ा गया, प्लास्टिक को एकत्रित किया गया। गार्डन के कचरां को साफ किया गया।

  • ‘शिवनाथ वाटिका एवं औषधीय पौधों का बगीचा’
    महाविद्यालय प्रवेष द्वार का उत्तरी भाग कटीले वृक्षों से आच्छादित था, महाविद्यालय स्टॉफ द्वारा यह संकल्प लिया गया कि सभी के अंषदान के आधार पर जहां से भी निःशुल्क पौधे की व्यवस्था हो पाई, तथा अधिकारी एवं कर्मचारीगण द्वारा स्वेच्छापूर्वक दी गई राषि से निर्मित कोष से विषाल वाटिका का निर्माण किया गया, जिनका नामकरण शिवनाथ वाटिका किया गया। वाटिका के रखरखाव का कार्य ‘जनभागीदारी मद एवं विद्यार्थियों के सहयोग से किया जा रहा है। इस बगीचे के रखरखाव का कार्य वनस्पतिषास्त्र विभाग के विद्यार्थियों द्वारा किया जाता है।
  • इस प्रकार महाविद्यालय परिसर का वानस्पतिक उद्यान महाविद्यालय अधिकारी, कर्मचारीगण तथा अध्ययनरत विद्यार्थियों के सहयोग से स्थापित, संरक्षित एवं संवर्धित किया गया हैं। जो मुख्य तौर पर, एक ओर सौंदर्यात्मक वानस्पतिक क्षेत्र के रूप में तथा दूसरी ओर औषधिक वानस्पतिक क्षेत्र के रूप में विकसित किया गया है। प्रत्येक पौधे के सामने उसके वैज्ञानिक नाम एवं सामान्य नाम की पट्टिका एवं उसके उपयोग के बारे में बताया गया है। इसमें समय-समय पर खरपतवार उन्मूलन, प्लास्टिक उन्मूलन का कार्य एवं जैव उर्वरक निर्माण कार्य आदि इको क्लब, पर्यावरण मित्रदल, एन.एस.एस इकाई एवं विज्ञान स्नातक विद्यार्थियों के सहयोग से किया जाता है। इसके माध्यम से विद्यार्थियों को विभिन्न प्रजातियों के पौधों से परिचित कराया जाता है तथा उनमें पर्यावरण सचेतना का विकास किया जाता है।

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