डी.एन.ए. संरचना पर अतिथि व्याख्यान

राजनांदगांव। शासकीय शिवनाथ विज्ञान महाविद्यालय, राजनांदगांव में दिनांक 02.04.2022 को महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. निर्मला उमरे के निर्देशन एवं डॉ. एस.आर.कन्नोजे, सहायक प्राध्यापक के निर्देशन में प्राणीवज्ञान विभाग के तत्वाधान में डी.एन.ए. संरचना पर डॉ. माजिद अली, प्राणीविज्ञान विभाग, शास. दिग्विजय स्नातकोत्तर महाविद्यालय, राजनांदगांव का अतिथि व्याख्यान आयोजित किया गया। डॉ. माजिद अली ने डी.एन.ए. के जैविक महत्व को समझाते हुए कहा कि ये आनुवंशिकता की इकाई है जो माता-पिता के लक्षणों को बच्चों में ले जाता है, ये प्रोटिन संश्लेषण के निर्माण में निर्देशक का कार्य करता है और अपना संकेत मेसेन्जर आर.एन.ए. द्वारा कोशिका द्रव्य में पहुंचाता है जिससे राइबोसोम पर प्रोटीन निर्माण होता है। डी.एन.ए. कुछ एन्जाइम की उपस्थिति में संदेश वाहक आर.एन.ए. का निर्माण करता है। क्रोमोसोम के कुछ डी.एन.ए. के न्यूक्लियोलस का निर्माण होता है, इनमें पुनर्रावृत्ति की क्षमता होती है अपने ही समान प्रतिलिपि बना सकता है। डी.एन.ए. पर्याप्त स्थाई रचना है इसमें उत्परिवर्तन व आनुवंशिकी से संबंधित परिर्वतनों की संभावना कम होती है। ये मुख्य जनेटिक पदार्थ होता है, गुणसूत्रों व प्रोकैरियोटिक जीव में स्वतंत्र रूप से मिलता है, ये दो चैन का बना होता है इसमें एडीनीन, ग्वानीन, साइटोसीन व थाइमिन होता है तथा डी आक्सीराइबोस शर्करा होती है।
न्यूक्लिक अम्ल जटिल संरचना वाले एवं अधिक आण्विक भार वाले कार्बनिक अणु है ये मुख्यतः केन्द्रक में मिलते है इसलिए इसे न्यूक्लिक अम्ल कहते है इसका प्रत्येक अणु हजारों इकाईयों का बना होता है जिसे न्यूक्लियोटाइड कहते है। प्रत्येक न्यूक्यिोटाइड एक अणु 5 कार्बन वाली शर्करा का एक अणु फोस्फोरिक अम्ल का और एक नाइट्रोजिनस क्षार का होता है, ये क्षार प्यूरीन व पिरिमिडीन के रूप में होते है। उन्होंने डीएनए के रासयनिक संरचना, आण्विक संरचना, रिप्लीकेशन, सीडीएनए, डीएनए फिंगरप्रिंट को विस्तार से समझाया। इस अवसर पर अधिक संख्या में विद्यार्थी, अधिकारी व कर्मचारी उपस्थित रहें। छात्रों द्वारा पूछे गये प्रश्नों का समाधान किया गया।

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