महाविद्यालय में 08 मार्च को ’’अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस’’ मनाया गया
राजनांदगांव। शासकीय शिवनाथ विज्ञान महाविद्यालय, राजनांदगांव मंे 08 मार्च को प्राचार्य डाॅ. गन्धेश्वरी सिंह के मार्गदर्शन में अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस का आयोजन किया गया। अपने उद्बोधन में उन्होंने महिलाआंे को अधिक से अधिक शिक्षित होने तथा संघर्ष से न घबराने हेतु प्रेरित किया। डाॅ. निर्मला उमरे ने कहा कि ईश्वर की हर रचना मंे स्त्री का खाश महत्व है। आप अपने आप को प्यार करो, अपने आप को डेव्हलप करो तभी आप दूसरांे को भी प्यार कर सकते हैं। उन्हांेने कहा पहले पितृसत्तात्मक समाज था, पर आज समय बदल गया है लड़कियाँ पढ़ कर आपके बराबर नौकरी कर रही हैं। ऐसे मंे दोनो को साथ मिलकर काम करना होगा तभी परिवार खुशहाल हो पायेगा।
प्रो. निर्मला जैन ने कहा कि महिलाआंे को हर बाधा पार करके पढ़ना है, दूसरांे से सहायता लेना भी सीखना होगा तभी आप संसाधनांे के न होने पर भी आगे बढ़ सकती है। प्रो. एलिजाबेथ भगत ने कहा कि गाड़ी के दोनों पहिये मंे हवा बराबर होने से ही गाड़ी अच्छी चलती है वैसे ही परिवार रूपी गाड़ी दोनों के सामंजस्य से मिलकर काम करने से ज्यादा अच्छी चलती है। प्रो. फुलसो पटेल ने प्राचीन समय से लेकर आधुनिक समय की शक्ति सम्पन्न विद्वान महिलाआंे के बारे मंे बताया और कहा कि महिलाएं सशक्त हैं उनकी शक्ति पर संदेह का प्रश्न ही नहीं है, जरूरत है समाज मंे पुरूषांे की सोच मंे परिवर्तन लाने की।
कार्यक्रम की संयोजक डाॅ. नागरत्ना गनवीर ने सभी महिला अधिकारी, कर्मचारियांे व छात्राआंे को अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस की हार्दिक शुभकामनायंे देते हुए कहा कि अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस की शुरूआत 1908 मंे न्यूयार्क से हुई थी। दरअसल यहाँ कई हजार महिलाआंे ने जो उद्योगांे मंे काम करती थी रैली निकाली तथा नौकरी के घंटे कम करने और वेतन बढ़ाने के लिए मांग की थी। संयुक्त राष्ट्र संघ ने 08 मार्च 175 को अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस मनाने की घोषणा की। 2014 तक सौ से अधिक देशांे ने महिला दिवस मनाना प्रारंभ कर दिया। उन्हांेने महिलाआंे के लिए साहस का प्रतीक बैंगनी कलर दिया और महिला दिवस मनाने का एक मात्र कारण महिलाआंे के खिलाफ होने वाले भेदभाव को समाप्त करना था। महिलाआंे के विकास पर ध्यान केन्द्रित कर उनकी समस्याआंे पर विचार कर जंेडर इक्वालिटी की दिशा मंे प्रगति हेतु अभियान चलाने यह दिवस मनाया जाता है। भारत सरकार ने 2001 को महिला सशक्तिकरण वर्ष घोषित किया और महिलाआंे के विकास के लिए राष्ट्रीय नीति बनाई। प्रो. स्वाति तिवारी ने कहा कि पुरूष अपनी मानसिकता बदले और स्त्रीयांे को हर क्षेत्र मंे सहयोग करेगा तभी परिवार, समाज और देश का विकास होगा। अंत मंे संयोजक डाॅ. गनवीर ने सभी को हार्दिक बधाई और धन्यवाद दिया। इस अवसर पर प्रो. निर्मला जैन, प्रो. निर्मला उमरे, प्रो. फुलसो पटेल, प्रो. भगत, प्रो. स्वाति, मोनिका, उमा, नंदिनी एवं बड़ी संख्या मंे छात्राएँ एवं छात्र उपस्थित रहे।